पेनी पीयर्स: व्यक्तिगत कम्पन की ऊर्जा


विज्ञान कहता है की हमें सिर्फ देखी और संपर्क में आयी चीज़ों पर ही विश्वास करना चाहिए, पर हम ये अकसर भूल जाते हैं कि हमारे अंदर की आत्मा, विचार, मनोभाव एवं हमारा शरीर सब कुछ अनहद ऊर्जा से बना हुआ है ।

इस विश्व में सब कुछ कंपायमान है । वास्तव में सबके अंदर स्पंदन मौजूद होता है जो इस विश्व में हमारी मौजूदगी का एहसास दिलाता है और साथ ही हमारी वास्तविकता को फलस्वरूप आकार भी देता रहता है ।

अपनी इस लेखनी में  पेनी पियर्स ने फ्रीक्वेंसी जिसे हम आवृत्ति कहते हैं, उसके आधार पर ये बताया है कि किस तरह हम अपने अंतरात्मा को महसूस कर सकते हैं और अपनी स्वेच्छा के अनुसार अपनी ज़िन्दगी को साधारण से असाधारण रूप में परिवर्तित कर सकते हैं । आवृति के आधार पर हुए एक सरल परिवर्तन से हम निराशा को शांति, क्रोध को स्थिरता और भय को उत्साह में परिवर्तित कर सकते हैं ।

अपनी स्व-आवृति को जानने के पश्चात, हम अपने व्यक्तिगत कम्पन को प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही अपने आतंरिक ऊर्जा की सहायता से हम अपने अंदर स्पष्टता को बढ़ा सकते हैं; कलह को कम कर सकते हैं एवं अपनी नवीन क्षमताओं और योग्यताओं को विकसित कर सकते हैं ।

नई वास्तविकताओं के पुनरूत्थान को जानकर, ऊंची आवृति की मदद से हम प्रभावशाली ढंग से अपने रिश्तों में सुधार ला सकते हैं,  संपन्न तरीके से हर समस्या  का समाधान निकाल सकते हैं और अपनी ज़िन्दगी को एक नया रूप दे सकते हैं जिसमे वो सभी अंश मौजूद हों जैसा हम चाहते हैं।

आवृति हमें ये दर्शाता है कि किस तरह अपनी 'एनर्जी स्टेट' यानि ऊर्जा की अवस्था को संभाल सकते हैं जिससे हम खुद को नियति के साथ सही रास्ते पर रखते हुए, हम जिस चीज़ के लिए बनाये गए हैं, उसका पूरा आनंद भी ले सकते हैं ।  पर हम ऐसा कर नहीं पाते क्योंकि हम संसार को एक स्थूल स्वरुप में देखा करते हैं, हम उसे इस तरह ध्यान नहीं देते जैसा वो हमारे सामने है।

हमारी आत्मा, हमारे विचार और भाव, सब कुछ ऊर्जा से निर्मित है।

हमारे अंदर और  हमारे आसपास हर जगह जीवन कंपायमान है। लेखक ने 'क्वांटम  फिजिक्स' की सहायता लेते हुए प्रमाणित अंतर्ज्ञान उन्नति तकनीकी की मदद से पाठक को आकर्षण के सिद्धान्त के अनुरूप गहरे मनोभाव में ले जाने की कोशिश की है|

यह पुस्तक पाठकों को एक से एक आशावादी तरीके से जीवन को जीने के लिए प्रेरित करता है ।जीवन में  जागरूकता तभी संभव है जब हम अपने अनुभवों को सकारात्मक और प्रभावी ढंग से उपभोग करते हैं।
अगर हम आवृत्ति के सिद्धान्तों को सीख लें तो हम अपने अंदर की ऊर्जा को सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं और महत्वपूर्ण ज्ञान को अपने अंदर सीधे प्राप्त कर सकते हैं।

अवधारणा (Concept)

इस पृथ्वी पर सब कुछ कंपायमान है और हम सबके अंदर जो ऊर्जा की आवृत्ति है वो भी अलग है। यह निर्भर करता है हमारी सोच पर, अगर हम सकारात्मक सोच रखते हैं तो हम अपने आस-पास वैसे ही ऊर्जा को महसूस करते हैं । नकारात्मक सोच रखने पर हमे हर चीज़ ही बुरी दिखती है ।

बार-बार नकारात्मक सोच रखने पर हमारे शरीर से जो ऊर्जा निकलती है, वह  उसी तरह के वातावरण का निर्माण करती है और हमे अनुभव भी उसी तरह के होने लगते हैं। इसे आकर्षण का नियम कहा जाता है यानी आप जीवन में जो भी देते है, वही आपको जीवन में मिलता है ; जैसा सोचते हैं, वही हासिल भी होता है।

हमारे आस-पास के वातावरण में ऊर्जा विद्यमान है। हम जैसी सोच रखेंगे उसी तरह की ऊर्जा का संचरण भी होगा। अगर हम अंदर से आनंदित हैं तो सबकुछ आनंदमय प्रतीत होता है, वहीँ उदास रहने पर उदासी का वातावरण नज़र आता है ।

नकारात्मक अनुभव हमारे अंदर से ही उत्पन्न होता हैं और इसी कारण हमारे रिश्तों पर भी इसी नकारात्मक विचारों का गहरा प्रभाव पड़ता है । जिस तरह की ऊर्जा हमारे अंदर से निकलती है वही ऊर्जा हमे आस-पास के लोगों से भी मिलने लगती है।

हम सोचते हैं कि हम किसी व्यक्ति के बिल्कुल विपरीत हैं और हमारे विचारों में मतभेद है पर आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार विपरीत लोग ही एक दूसरे की तरफ आकर्षित हुआ करते हैं|

विपरीत विचार वाले व्यक्ति के साथ नम्रता और सौम्यता से पेश आना ही सहानुभूति का आधार बनता है। हम अपने अंदर ये धारणा  बना लेते हैं कि दूसरे व्यक्ति से हमारे विचार बिलकुल मेल नहीं मिलते और इसलिए उनके साथ संपर्क बनाना संभव नहीं होता। सबसे पहले एक दूसरे को समझनना ज़रूरी है।

ऊर्जा कभी हनन नहीं होता वह तो एक रुप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है । भौतिक विज्ञान में ऊर्जा को एक अलग परिभाषा से परिचित कराया गया है। ऊर्जा के कण पर्यावरण में अलग-अलग तरंगों बनकर घूम रहती हैं। और यही तरंगे सकारात्मक और नकारात्मक विचारों के अनुसार अपने आपको बदलती रहती हैं।

इसलिए फ्रीक्वेंसी जिसे हम आवृत्ति कहते हैं सभी जगह मौजूद है जैसे टेबल, पेड़, जीव-जंतु इत्यादि | इसलिए फ्रीक्वेंसी जिसे हम आवृत्ति कहते हैं सभी जगह मौजूद है जैसे टेबल, पेड़, जीव-जंतु सब कुछ इत्यादि । इसलिए फ्रीक्वेंसी को कम्पन की गति का पर्याय दिया है।

उदास या निराश होने पर कम्पन की गति धीमी हो जाती है और खुश होने पर बढ़ जाया करती है । यही वजह है कि भावनाओं के आधार पर फ्रीक्वेंसी  घटती और बढ़ती र्रेहती है|

जीवन की परिस्थियों में हमे कभी ख़ुशी हाथ लगती है तो कभी निराशा। और हमारे मनो-स्थिति के आधार पर ही हम आस-पास एक वातावरण का भी निर्माण करते है। हर इंसान अपने-अपने व्यक्तिगत कम्पन के अनुसार एक जगह से दूसरे जगह चलता रहता है। कभी रुकता नही ।

हम एक बंजारे की तरह यहां से वहाँ भटकते रहते हैं। इस राह में कोई किसी डगर पर कोई अपने जैसा मिला तो उससे संपर्क बढ़ा लेते है नहीं तो फिर किसी खोज में निकल जाते हैं और जब तक अपनी ऊर्जा से मिलता-जुलता न मिला तब तक ये खोज जारी रहती है ।

यह हम पर निर्भर करता है कि हम किसी भी परिस्थिति को किस तरह से लिया करते हैं । अगर परिस्थितियां अपने अनुकूल न हों तो हम निराश हो जाय करते हैं। निराश होने से हमारी ऊर्जा की क्षति होती है। हम नकारात्मक ऊर्जा को अपने आस-पास फैलाते है और इस तरह सब कुछ हमे नकारात्मक दिखने लगता है ।

उदास रहने पर हम खुद को नुकसान पहुंचाते हैं और अपनी ज़िन्दगी के कीमती पल को खत्म करते हैं।

हम कभी-कभी अपने अपनी परिस्थितियों पर मुस्कुराया भी करते हैं। अगर देखा जाए तो हमारे अंदर एक नन्हे से बच्चे जैसी निश्छलता हुआ करती। एक बच्चे की आँखों आईने की तरह पारदर्शी हुआ करती हैं जिसे हर पल मुस्कुराते हुए पाए जाता है। वो तो ये नहीं जानता की उसके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा । वह तो सिर्फ मुस्कुराता रहता है। ऐसा ही जीवन हमारे अंदर भी होना चाहिए, एक मासूम सा निश्छल मन को लेकर ।

हमारे यही जीने का तरीका दूसरे के लिए भी एक उदाहरण का काम करता है । हम अपने जीवन को सुगम बनाकर दूसरे के जीवन में स्थिरता ला सकते हैं ।

ध्यान

अंतरध्यान एक प्रक्रिया है जिसमे हम खुद को शांत रखकर अपने जीवन को स्थिर कर सकते हैं । ध्यान अपने आप में एक अनुसाशन है जो हमारे मन को नियंत्रित  करने में मदद करता है । ध्यान करने से हम अपने मनोभावों पर नियंत्रण कर सकते हैं । इससे हम अपनी ऊर्जा को भी संग्रहित कर सकते हैं ।

बस हमें यही देखना है की हम किन चीज़ों को अपने लिए चुनते हैं। यह बहुत ही महवपूर्ण है क्योंकि इसी के आधार पर हम खुद के लिए और अपने आस-पास के लिए एक नई ऊर्जा का निर्माण कर सकते हैं।

जब हमारी फ्रीक्वेंसी तेज होती है, तब हम ज़्यादा ऊर्जा का संचार करते हैं और ज़्यादा ऊर्जा भी ग्रहण करते हैं । जब हम किसी के संपर्क में आते हैं दूसरे की वाइब्स (वाइब्स) से हम यह पता लगा सकते हैं क़ि वो उदास है या उत्साहित |

हमारी पृथ्वी पर कम्पन निरंतर रूप से बढ़ता जा रहा है और परिवर्तन के इस दौर में आतंरिक मन ने अपनी जगह बना ली है । यदि हमारा मन चिंतामुक्त है तो हम स्वस्थ तरंगों को जन्म देते हैं और उसे प्रवाहित भी करते हैं। अगर मन को नियंत्रित कर किया जाए तो ज़्यादातर परिस्थितियों को हम अपने काबू में कर सकते हैं ।

ऊर्जा और कम्पन (वाइब्रेशन) के द्वारा हम हर परिस्थिति में सही क्रिया का चुनाव कर सकते हैं ।

यह पुस्तक हमे हमारे अंदर के छुपे हुए ज्ञान के बारे में बताने का प्रयास करता है की हमारे अंदर ऊर्जा का भण्डार है और हम सब एक ऊर्जा से पूर्ण ब्रम्हांड में रहते हैं ।

हमे सिर्फ अपनी अंदर की उस ऊर्जा को पहचानना है। एक बार जब हम उस ऊर्जा जान लेंगे तो तो हम खुद महसूस करेंगे कि ये मनुष्य जीवन कितना सुन्दर है और हम अपने अलावा दूसरों के जीवन को किस तरह और सुन्दर बना सकते हैं ।

क्योंकि सब कुछ हम पर निर्भर करता है की हम किस तरह का जीवन अपने बनाना चाहते हैं। हमे यह जीवन सुन्दर और सजीला चाहिए या  जीवन भर हम नकारात्मक शक्तियों के ग़ुलाम बने रहना चाहते हैं|


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